एक रात की ख्वाइश

मैने कहीं पढ़ा था की – मौत भी ज़रूरी है ज़िंदगी भी प्यारी है ख्वाहिशों से जुए में मैने शाम हारी है…!!! इसे मैं अपनी ज़िंदगी पर लागू कर सकता हूँ… तभी ‘जीवन’ ने कहा की – शाम को हार कर रात भी तो पाई है! वाह!बेहतरीन हस्तक्षेप! लेकिन उस रात को तो अभी तलाशContinue reading “एक रात की ख्वाइश”