कोरॉना त्रासदी में डर और व्याकुलता से परे
Corona आज ऐसा शब्द है जो दहशत का प्रतीक बन गया है। खांसी, छींक, सर दर्द, पेट दर्द सब corona की और इशारा करते हुए नजर आते हैं। Corona के डर से सड़के अब धीरे धीरे मध्म चलने लगी हैं, बाज़ार जूझने लगे हैं, सब नजरबंद हैं।
लेकिन ये डर क्यूं?
हम , यानी पूरा विश्व, पूरी इंसानियत, शायद इसलिए डरी है क्यूंकि हमें पता है हम गलत हैं। जितना शोषण हमने अपनी कुदरत का किया है, जितना बेहिसाब दोहन प्राकृतिक संसाधनों का किया है, जितना बेतरतीबी से कुदरत के नियमों का उल्लंघन किया है, अपनी रफ़्तार से कुदरत को रौंदा है , तो corona जैसे माहमारी के तो हम हकदार हैं?
आज हम कहां हैं?
समय ठहर गया है। मन सिहर गया है। आशंकाओं ने घेर लिया है। इंतज़ार ही कर रहे हैं सब की कब प्रकोप कम होने की खबर आए। क्या खबर आ सकती है ऐसी? कौन देगा ये खबर? सब अंदाजा है, सब आंकलन है पिछली घटनाओं के अपेक्षा? क्या सही दिशा में हम चल रहे हैं? क्या हमारे अपने सुरक्षित रहेंगे? लेकिन अगर एक भी जीव असुरक्षित रह गया तो हम कैसे सुरक्षित रह सकेंगे? अभी भी संकुचित मानसिकता नहीं छोड़ पए रही इंसानियत क्या सबक लेगी?
इस विश्व में शायद ही कोई सोचने वाला जीव हो जो इन प्रश्नों से ना जूझ रहा होगा। ये सब आशंकाओं के बादल अपने साथ एक भय और व्याकुलता ले कर आई है। हमें मनुष्यता की आत्मचेतना से इसी डर , इसी घबराहट और इसी बेचैनी से मुक्त करना है। अपने स्वभाव के प्रति जागरूक होकर हम अपने अंदर, अपने परिवार, अपने समाज में बदलाव ला कर इस त्रासदी से नई राह बना सकते हैं।
स्वभाव की परख से पहले के कुछ होमवर्क!
Corona से हमारा डर स्वाभाविक है। जब परिवार पर, समुदाय पर खतरे का अहसास होता है तो डर तो लगता ही है। तो ये वहम निकल दीजिए की ये डर गलत है। डर से ही बदलाव शुरू होते हैं, नियम कायदे कानून मजबूत होते हैं और व्यवस्थाएं दुरुस्त होती हैं। ये जानिए इस डर को हम अपने विचार और स्वभाव से ही काबू में रख सकते हैं। अपनी दूरदर्शिता को जागृत कीजिए। ज्ञान को अर्जित कीजिए। एक बड़ी सोच रखें । आपको ज्ञात रहे की आप सम्पूर्ण भ्रमंड में लेश मात्र हैं और जीवन तो वैसे भी नश्वर है। लेकिन अभी corona से कोई मनुष्य सभ्यता खतम नही होने वाली। वो डालेगी फूलेगी और इस त्रसफी से ताकतवर होकर निकलेगी। तो आप भी अपने अंदर की मजबूती को बनाएं रखें।
ये समय ऐसे है शायद हम में से किसी ने पहले अनुभव नहीं किए हैं। कहीं बाहर जा नहीं सकते, घूमना बंद है क्यूंकि सफर पर पाबंदी है, पिक्चर देखने नहीं जा सकते क्यूंकि हॉल बंद हैं, घर के बाहर खा नहीं सकते, घर – परिवार में हमारी दुनिया सिमट गई है। ऐसे में हमारा सहारा टेलीविजन है और उसका भी उपयोग हम संक्रमण की स्तिथि जानने के लिए कर रहे हैं? कितना Corona फैला ये ज़रूर जानकारी रखिए लेकिन अपने मनोरंजन की कीमत पर नहीं। और समाचार चैनलों का हाल आप सब अब तक समझ ही गए होंगे जो 24 घंटे चलने के लिए तिल का ताड़ बनाता है और वो ताड़ को बार बार चलाकर और बड़ा ताड़ बनाता है। तो खबरें अगर सुननी ही हैं तो सही सोर्स से सुनें। जैसे कि दूरदर्शन समाचार। बाकी समय परिवार के साथ गुजरें, बातें करें बच्चों से , उन्हें अच्छी बाते बताएं अच्छे उदाहरण दें। उन्हें Corona के विषय में जानकारी दें, सुरक्षा और सुरक्षित रहने का भाव उत्पन्न करें। बच्चों को बाहर खेलने से मत रोकें और अपना भी रूटीन बनाएं। और अगर आपको अकेलापन महसूस ही ही रहा है तो सोशल मीडिया पर गप्पे लड़ाएं, फोन कॉल कर लें किसी को। यकीन मानिए जिनसे अप बात करेंगे उनको भी अच्छा ही लगेगा क्यूंकि वे भी आपके ही वाली मनोदशा से गुजर रहे हैं।
तो बस होमवर्क आपका ये है कि आपको ये चेक करते रहना है कि लेटेस्ट खबर आप कितनी कितनी देर में सुनते हैं!
अपने स्वभाव के प्रति सजग होने का अवसर दे गया Corona
अब जब हम हमारे पास समय है (!) तो सजग रहने में भी अपना टाइमपास होता है। खुद अवलोकन करिए कि हम कितना बोलते हैं, कितना बोल सकते हैं? घर में कितना झगड़ा हम करते हैं और कैसे कितना झगड़ा करने से हम बच सकते थे? गौर ज़रूर करिए। आपके इस आवलोकान से बाहर तो शांति होगी, भीतर भी शांति रहेगी। इससे आप खुश रहेंगे और डर स्वतः पीछे हो जाएगा। तो अपने स्वभाव को समझना शुरू करना है हमें। हमें देर ज़रूर हो गई है आत्म अवलोकन करने में लेकिन सही समय तो अभी ही है। तो आत्म अवलोकन करिए। समय है। नकारात्मकता को हावी होने से रोकना है हमें। लेकिन कैसे? कुछ नए कार्य कर कर नए प्रयोग कर कर हम नकारात्मकता को पीछे धकेल सकते हैं। नया ज्ञान लीजिए, किताबें पढ़ें, अपनी रुचि की किताबें पढ़ें, Kindle पर ebooks पढ़ने की आदत डालें। इंटरनेट पर नई स्किल्स सीखें। Talentedge, unacademy , byjuS जैसे प्लेटफॉर्म ऑनलाइन अब उपलब्ध हैं जिनसे प्राप्त ज्ञान हमारा जीवन व्यापी में हमेशा साथ देगा। विजडम, लॉजिक से आगे बढ़ने का संकल्प लेने का वक़्त दे रहा है Corona।
हमारे हिन्दू सनातन संस्कृति में वेदों, उपनिषदों, ऋषि मुनियों का अभूतपूर्व ज्ञान उपलब्ध है। श्री श्री रविशंकर जी , सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी एवं अन्य पुण्यात्माओं ने इस सनातन ज्ञान को आसान शब्दों में उपलब्ध करा दिया है। यू ट्यूब, सोशल मीडिया पर तमाम सत्संग प्रवचन, ज्ञान की गंगा मौजूद हैं। आर्ट ऑफ लिविंग ने तो सतसंग, गीता, संस्कार, भजन , योग , ध्यान सब अपनी ऐप में आसानी से उपलब्ध करा दिया है। जितना हो सके ज्ञान का अर्जन करें, क्यूंकि हमारे पास समय है और सिर्फ व्याकुलता करने से अपका, आपके अपने का , और किसी का कोई भला नहीं होने वाला। गाइडेड मेडिटेशन करें। नई सकारात्मक ऊर्जा अपने स्वयं से जागृत करें।
इस के प्रति जागरूक हो जाएं की आपके बच्चे भी आप को देख रहे हैं और सीख रहे हैं। अच्छी आदतों का प्रदर्शन करें। बच्चे उसी को फॉलो करेंगे। उनके समक्ष धूम्रपान, नशे का सेवन उनके चिंतन को दूषित करता है वहीं उनके सामने आप अच्छी चीजें देख रहे हैं, अच्छा साहित्य पढ़ रहे हैं और ध्यान ज्ञान में दिख रहे हैं तो ये उनको उनके जीवन में हमेशा लाभप्रद रहेगा।
Corona ने हमें सब कुछ ठीक करने का एक अवसर दिया है। अगर हमने इस अवसर का लाभ ले लिया तो भविष्य की काफी जटिलताओं को हम टाल सकेंगे। नहीं तो संकट तो आते ही रहेंगे। कभी Corona के जैसे कभी प्राकृतिक आपदाओं के जरिए।
कोई इस त्रसदी को हल्के में ना ले। लेकिन इसके डर से ऐसे फैसले भी ना ले की जो समस्या को काम करने के बजाए इसे बढ़ा ही दे और दूसरों को भी संकट में डाल दे। जैसे घर में समान भरकर दुकानें खाली कर देना। ऐसा व्यवहार तर्क संगत नहीं है और आपदा को बढ़ाता है है।
तो संयम रखिए, धैर्य रखिए, कुछ नया करिए और कहिए:
GO CORONA GO